पाली का इतिहास: प्रसिद्ध दानी भामाशाह (प्रताप के साथी) की जन्म स्थली रहा है। प्राचीन नाम पालिका।
क्षेत्रफल | 12387 वर्ग किमी. |
जनसंख्या(2011) | 20,38,533 |
तहसील | 10 (जैतारण, रायपुर, सोजत, मारवाड़ जंक्शन, रोहट, पाली, रानी, देसूरी, सुमेरपुर, बाली) |
मुख्य भाषा | हिन्दी, राजस्थानी |
पाली का इतिहास प्रमुख मेले व त्यौहार
मेला | स्थान | दिन |
रणकपुर मेला | रणकपुर | फाल्गुन शुक्ला 4 व 5 |
चौटीला पीर | पीर ढुल्लेशाह दरगाह | कार्तिक कृष्ण पक्ष 1 व 2 |
सोनाणा खेतलाजी मेला | सोनाणा (तह. देसूरी) | चैत्र शुक्ला एकम् |
निम्बाज पशु मेला | निम्बाज | 8 फरवरी |
परशुराम महादेव | परशुराम महादेव | श्रावण कृष्ण 6 व 7 |
बिरांटीया रामदेव मेला | बिरांटीया खुर्द | भादवा शुक्ला 11 व 12 |
बाली पशु मेला | बाली | 1 से 7 जनवरी |
पाली का इतिहास प्रमुख मंदिर व दर्शनीय स्थल
मूंछाला महावीर
कुंभलगढ़ अभयारण्य में घानेराव के निकट स्थित 10वीं सदी के इस मंदिर में मूछों वाले महावीर स्वामी की मूर्ति स्थापित है।
नारलाई
पाली में स्थित यह स्थान जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। नारलाई के जैन मंदिरों में गिरनार तीर्थ बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें नेमीनाथ की श्यामवर्णी प्राचीन प्रतिमा है। यहीं पास में सहसावन तीर्थ भी है, जहाँ पर नेमी-राजुल के पद चिह्न हैं। यहाँ भँवर गुफा भी दर्शनीय है।
चौमुखा जैन मंदिर रणकपुर
पाली की देसूरी तहसील में स्थित रणकपुर का जैन मंदिर प्रसिद्ध श्वेताम्बर जैन मंदिर है जो शिल्प व विशालता की दृष्टि से अद्वितीय है। यह माद्री पर्वत की छाया में रणकपुर गाँव में मथाई नदी के पास महाराणा कुंभा के काल में धरणकशाह द्वारा वास्तुकार (क) देया की देखरेख में सन 1439 में बनवाया गया था। रणकपुर का चौमुखा जैन मंदिर भगवान आदिनाथ का मंदिर है। यह चौमुखा जैन मंदिर,’नलिनी गुल्म देव विमान’ के आकार प्रकार का है। पूरा मंदिर 1444 स्तंभों पर खड़ा है।
किसी भी कोण से खड़े हों, भगवान के दर्शन में कोई स्तंभ आड़े नहीं आता। मूल गर्भ गृह में विराजित भगवान आदिनाथ की प्रतिमा लगभग 5 फुट की है एवं ऐसी कुल चार प्रतिमाएँ चारों दिशाओं में स्थापित है। संभवतः इसी कारण से इस मंदिर का उपनाम ‘चतुर्मुख जिन प्रासाद’ भी है। रणकपुर जैन मंदिर को ‘स्तम्भों का वन’ भी कहते हैं। इस मंदिर को कवि माघ ने ‘त्रिलोक दीपक’ व आचार्य विमल सूरि ने ‘नलिनी गुल्म विमान’ कहा है। (पाली का इतिहास )
वरकाणा
पार्श्वनाथ भगवान का प्राचीन मंदिर होने के कारण वरकाणा (रानी के निकट) जैन समाज का एक बड़ा तीर्थ है।
राता महावीर’ का जैन मंदिर
पाली जिले में स्थित इस मंदिर की स्थापत्य कला की तुलना रणकपुर जैन मंदिर से की जाती है।
सांडेराव का शांतिनाथ जिनालय
यह लगभग 1400 वर्ष पुराना जैन मंदिर है, जिसका निर्माण पाण्डवों के वंशधर गंधर्वसेन ने कराया था।
सिरियारी
पाली जिले के छोटे से गाँव सिरियारी में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ के प्रथम आचार्य श्री भिक्षु का निर्वाण हुआ था। यह श्वेताम्बर तेरापंथी सम्प्रदाय का एक प्रमुख लोकतीर्थ है। जैन धर्म इस क्षेत्र में खूब पनपा। वरकाणा, नारलाई, नाडोल, मूंछाला महावीर तथा रणकपुर को पंचतीर्थी भी कहा जाता है। यहाँ जैनों के प्रसिद्ध मंदिर हैं। (पाली का इतिहास )
निम्बों का नाथ महादेव
पाली जिले में फालना व सांडेराव मार्ग पर पहाड़ी की तलहटी में स्थित मंदिर।
सालेश्वर महादेव
पाली के निकट गुढ़ा प्रतापसिंह ग्राम की पहाड़ी गुफा में स्थित। यहाँ स्थित ‘भीमगौड़ा’ वनवासी पांडवों की याद दिलाता है।
नाणा जैन मंदिर
ये लगभग 2500 वर्ष पुराने जैनमंदिर हैं जो भगवान महावीर के जीवन काल में ही निर्मित हो चुके थे। यहाँ स्थापित भगवान महावीर की मूर्तियों को ‘जीवन्तस्वामी’ के नाम से संबोधित किया जाता है।
बाली
मिश्री नदी के किनारे स्थित कस्बा, जो जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
सोजत
सूकड़ी नदी के किनारे स्थित कस्बा । यहाँ की पीर मस्तान की दरगाह एवं सीजत किला दर्शनीय है|
रणकपुर
अद्वितीय शिल्प से युक्त जैन मंदिरों के लिए प्रसिस, जिनका निर्माण महाराणा कुंभा के काल (15 मंदिर, नेमीनाथ का मंदिर (जिसे वेश्याओं का मंदिर भी कहते हैं) आदि स्थित है।
सादड़ी
खुदाबक्श बाबा की प्राचीन दरगाह, वा अवतार मंदिर व पाश्वनाथ जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध ।
देसूरी
नवी माता के मंदिर, परशुराम महादेव मंदिर आदि के लिए प्रसिद्ध स्थान।
सोमनाथ मंदिर
पाली में स्थित इस मंदिर का निर्माण गुजरात के आता कुमारपाल सोलंकी ने विक्रम संवत् 1209 में करवाया।
घानेराव
जैन व हिंदु मंदिरों के लिए विराण गया के राजा कुमार गजानन्द का मंदिर, जिसमें देवी रिद्धी व सिद्धी के आदम कद बुत हैं।
मीरागढ़
पाली जिले में स्थित कुड़की गाँव मीरा की धक प्रसिर होने का गौरव रखता है। यहाँ मीरागढ़ स्थित है जिसमें मीरा मंदिर दर्शनीय है |
परशुराम गुफा
सादड़ी से कुछ दूरी पर अरावली पर्वत श्रृंखला में परशुराम की गुफा स्थित है। गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग है। इसे ‘राजस्थान ३ अमरनाथ’ कहा जाता है।
चामुंडा माता का मंदिर
नीमाज कस्बे के निकट राजा भोज का बनवाया हुआ चामुंडा माता का मंदिर पुरातत्विक महत्त्व का प्रमुख स्थल है। इसे मरकण्डी मान भी कहते हैं।
फालना जैन स्वर्ण
यह राजस्थान का प्रथम स्वर्ण मंदिर है जो अपने स्थापत्य तथा गुम्बद पर स्वर्ण पर के लिए विशेष पहचान रखता है। इस मंदिर मूलनायक शंखेश्वर पाश्र्वनाथ है। श्वेताम्बर सम्प्रदाय के इस मंदिर को ‘गेटवे ऑफ गोडवान’ तथा ‘मिनी मुम्बई’ के नाम से जाना जाता।
सुमेरपुर
यहाँ मस्तान बाबा की दरगाह है।
जूना खेड़ा, नाडोल पाली
नाडोल का उल्लेख संस्कृत साहित्य में ‘नडूल’ के रूप में भी हुआ है। यह चौहान नरेशों की राजधानी थी तथा इसके संस्थापक 10वीं शतार के राव लाखन थे। यह पहला चौहानकालीन नगर है जहाँ इतने विशाल स्तर पर उत्खनन कार्य करवाया गया। यहाँ नियोजित नगर के साथ मिले हैं जो सभी प्रकार की सुविधाओं से युक्त था। सारी आवासीय बस्ती एक प्राचीर से आवेष्ठित थी। एक मिट्टी के बर्तन पर ‘शालभजिक का अंकन है। ऐसी भारत में पहली उपलब्धि है। अब तक शालभंजिका की प्रस्तर प्रतिमाएँ ही मिलती थी। (पाली का इतिहास )
अन्य स्थल
केकीन्द, चोटीलापीर ढुले शाह की मजार, (केरला स्टेशन), धौला चौतरा, जूनाखेड़ा आदि।
पाली का इतिहास महत्त्वपूर्ण तथ्य
- बाण्डी नदी के किनारे पर बसा पाली नगर पालीवाल ब्राह्मणों के कारण पाली कहलाया।
- यह जिला राजस्थान में सर्वाधिक 8 जिलों की सीमाओं को स्पर्श करता है।
- पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बाँध जवाई बांध व सरदार समद बांध इसी जिले में है। जवाई बाँध को ‘मारवाड़ का अमृत सरोवर का
- पाली जिले के पादरला गाँव के कामड़िया पंथ का ‘तेरहताली’ लोकनृत्य देश-विदेश में पाली के अन्य प्रसिद्ध लोकनृत्य है- मुण्डारा का कच्छी घोड़ी नृत्य, बूसी का रण नृत्य ।
- सुमेल : यहाँ 1544 ई. में शेरशाह सूरी और मालदेव के बीच विख्यात गिरि सुमेल का युद्ध’ (जैतारण युद्ध व अजमेर युद्ध के नाम से भी लोकप्रिय • सोजत सिटी : यह मेहंदी, रंगाई छपाई व गरासियों की फाग ओड़नी के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पीर मस्तान साहब की दरगाह है। यह शहर सूकती नदी के बना है।
- आउवा : यहाँ सत्याग्रह उद्यान का निर्माण किया गया है।
- बिराटिया खुर्द : रायपुर तहसील में स्थित इस ग्राम में बाबा रामदेव का 5 मंजिला मंदिर है। जहाँ भाद्र शुक्ला दशमी को मेला लगता है | (पाली का इतिहास )
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निष्कर्ष:
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमारी टीम ने पाली का इतिहास के बारे मे वर्णन किया है, पाली का इतिहास के साथ – साथ पाली के प्रमुख पर्यटन स्थलों का भी वर्णन किया है। (पाली का इतिहास )
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