बाड़मेर का इतिहास | Barmer History In Hindi

बाड़मेर का इतिहास | Barmer History In Hindi:- तेल एवं प्राकृतिक गैस की खनिज संपदा के धनी बाड़मेर जिले के मुख्यालय ‘बाड़मेर’ का यह नाम इसके संस्थापक (13वीं शती) बाहादा राव (बाड़ा राव) ने रखा (यानि बाड़ का पहाड़ी किला) था। कभी मालानी (12वीं सदी में) कहे जाने वाला वर्तमान बाड़मेर जिला 1949 में जोधपुर रियासत को राजस्थान में मिलाने के बाद स्थापित हुआ था। यह राज्य का क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा जिला है। यह थार मरुस्थल का एक भाग है। दूर-दूर तक रेत के शुष्क टीले यहाँ की पहचान हैं। इस जिला की मांगणियार व लंगा लोक गायिकी ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।

बाड़मेर का इतिहास, Barmer History In Hindi
बाड़मेर का इतिहास | Barmer History In Hindi
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा जिला बाड़मेर राजस्थान के पश्चिमी भाग में पाक सीमा पर स्थित है।
  • बाड़मेर जिले में बहने वाली प्रमुख नदी लूनी है।
  •  जिले के पूर्वी भाग में सिवाना तहसील में अरावली की छितरी पहाड़ियाँ है | 
  • जिन्हें ‘छप्पन के पहाड़’ के नाम से जाना जाता है। बाड़मेर राजस्थान का ऐसा जिला है जो अन्तरराज्यीय व अंतरराष्ट्रीय दोनों सीमाएँ बनाता है।
  • बाड़मेर की पहाड़ियों में सबसे ऊँची पहाड़ी हल्देश्वर है, जो सिवाणा में स्थित है।
  • बाड़मेर क्षेत्र मारवाड़ के अंतर्गत जोधपुर रियासत का भाग रहा है।
  • पचपदरा झील-खारे पानी की झील।

बाड़मेर का इतिहास: प्रमुख मेले व त्यौहार

मेलादिन
 मल्लीनाथ पशु मेलाचैत्र कृष्णा 11 से चैत्र शुक्ला 11 तक
 सावण का मेला
श्रावण कृष्णा 2-3
 रणछोड़ाय का मेलाभादवा सुदी 2
जोगमाया का मेलाप्रतिवर्ष राधाष्टमी, माघ पूर्णिमा, बैशाख एवं श्रावण मास की पूर्णिमा व कार्तिक पूर्णिमा
भादवा सुदी 14
हल्देश्वर महादेव शिवरात्रि मेलाशिवरात्रि
 सूइयों का मेलाअर्द्धकुंभ के नाम से प्रसिद्ध यह मेला हर चार वर्ष में पौष माह की अमावस्या को भरता है।
रानी भटियानी का मेलाकार्तिक बुदी 5
बजरंग पशु मेलामंगसर बुदी 3
 नाकोडा जी का मेला पोष बुदी 10-11 (यहाँ पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर है)
 वीरातरा माता चित्र, भाद्रपद एवं माघ माह में शुक्लपक्ष में चतुर्दशी को
थार महोत्सव पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित
बाड़मेर का इतिहास | Barmer History In Hindi

बाड़मेर का इतिहास: प्रमुख मंदिर

श्री रणछोड़रायजी का मंदिर, खेड़

यह प्रमुख वैष्णव तोर्थ एवं हिन्दुओं का पवित्र भारत मंदिर नदी के किनारे स्थित है। खेड़ में भरिया बाबा तथा खोड़िया बाबा मचारियों के आराध्य देव हैं। पहले पंचमुखी का दाम है, जो सही नदी के किनारे शिव मंदिर भी है। लोकदेवता पाबूजी भी उँटपालक जातियों जैसे-रेबारियों, राइका आदि के आराध्य हैं।

मल्लीनाथ मंदिर

तिलवाड़ा में मल्लीनाथ जी का समाधि स्थल है। यहाँ उनका प्रसिद्ध मंदिर  है।

 ब्रह्मा का मंदिर

आसोतरा ,बाड़मेर में ब्रह्मा का मंदिर स्थित है। मादर की भूमिरू मंदिर 1984 ई. में की गई। इसे सिद्ध पुरुष खेताराम जी महाराज ने बनवाया l

श्री नाकोड़ा

बालोतरा के पश्चिम में भाकरियाँ नामक पहाड़ी पर जैन मतावलम्बियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान ‘नाकोड़ा’ स्थित है, जिसे मेवानगर के जैन तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। नाकोड़ा बाड़मेर में बालोतरा रेल्वे अबका से 7 किमी. पश्चिम में मरुप्रदेश का यह अभिनव जैन तीर्थ है। इसका निर्माण 12-13वीं शताब्दी में हुआ था। मुख्य मंदिर में तेईसवें जैन तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजित है। यहाँ नाकोड़ा भैरव जी भी अधिष्यपित हैं। भगवान श्री पार्श्वनाथ तथा अधिष्ठायक देव भैरव जी की महिमा इतनी विख्यात है कि भक्तों द्वारा इन्हें ‘हाथ का हुजूर’ व ‘जागती जोत’ माना जाता है। प्रतिवर्ष तीर्थकर पाश्र्वनाथ के जन्म महोत्सव के दिन पाँच कृष्णा दशमी को यहाँ विशाल मेला लगता है।

 किराडू के मंदिर (राजस्थान का खजुराहो)

किराडू प्राचीनकाल में परमार शासकों की राजधानी किरात कूप के नाम से विख्यात था। बाड़मेर के हाथमा गाँव के निकट एक पहाड़ी के नीचे स्थित किराडू 10वीं व 11वीं शती के विष्णु व शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ सर्वप्रसिद्ध सोमेश्वर मंदिर है। यह किराडू का सबसे प्रमुख एवं बड़ा मंदिर है। किराडू की स्थापत्य कला भारतीय नागर शैली की हैं। सोमेश्वर मंदिर नागर शैली के मंदिर की परम्परा में शिव मंदिरों की श्रेणी में महामारु गुर्जर शैली की एक उच्च कोटि की बानगी है।

किराडू के मंदिरों के पास पहाड़ी पर महिषासुर मर्दिनी की त्रिपाद मूर्ति हैं। किराडू को इतिहास, पुरातत्व एवं अध्यात्म की त्रिवेणी के नाम से जाना जाता है। यहाँ सोमेश्वर मंदिर के अलावा बनवाया। रणछोड़ मंदिर व शिव मंदिर भी स्थित हैं। यहाँ मिथुन मूर्तियों की भव्यता के कारण इसे ‘राजस्थान का खजुराहो’ की संज्ञा दी गई है।

वीरातरा माता

चौहटन तहसील में पहाड़ियों पर भोपा जनजाति की कुलदेवी वीरातरा माता का भव्य मंदिर है। यहाँ प्रतिवर्ष माघ एवं भाद्रपद शुक्ला चतुर्दशी को मेला भारत है l

नागणेची माता मंदिर

बाड़मेर जिले में पचपदरा के पास नागालो गाँव में नागणेची माता के मंदिरों में माता की लकड़ी की मूर्ति दर्शनीय है।

आलमजी का मंदिर

यह धोरीमना में स्थित है।

पर्यटन व दर्शनीय स्थल

सिवाणा दुर्ग

छप्पन की पहाड़ियों में पँवार शासक वीर नारायण द्वारा वि.सं. 1100 के लगभग निर्मित। बाद में इस पर नाडौल के चौहानों का अधिकार हो गया |

कोटड़ा दुर्ग

शिव तहसील के कोटड़ा गाँव में एक छोटी भाखरी पहाड़ी पर सोनारगढ़ के आकार का यह दुर्ग बना है। किले में सुंदर शिल्प आकृतियाँ व सरगला कुआँ दर्शनीय है।

गडरा का शहीद स्मारक, बाड़मेर

1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए 14 रेल्वे कर्मचारियों की स्मृति में निर्मित स्मारक जहाँ प्रतिवर्ष 9 सितम्बर को उत्तरी रेल्वे मेन्स यूनियन की तरफ से एक मेले का आयोजन होता है।

जूना बाड़मेर

मुनाबाव मार्ग पर बाड़मेर से 40 किमी. दूरी पर प्राचीन बाड़मेर शहर ‘जूना बाड़मेर’ के ध्वंशावशेष अभी भी मौजूद हैं।

 बाटाडू का कुआँ

‘रेगिस्तान के जलमहल’ के नाम से प्रसिद्ध संगमरमर का बना यह भव्य कुआँ बाड़मेर की बायतु पंचायत समिति क्षेत्र में स्थित है।

पीपलूंद

यहाँ हल्देश्वर महादेव का मंदिर है। इसे मारवाड़ का ‘लघु माउण्ट आबू’ कहा जाता है।,

उंडुकाशमेर

बाड़मेर के शिव तहसील के इस गाँव में लोक देवता रामदेवजी का जन्म हुआ था।

अन्य स्थल

नीमड़ी, सफेद अखाड़ा, वाकल माता का मंदिर आदि।

बाड़मेर का इतिहास: महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • यहाँ की मलीर प्रिंट, अजरख प्रिंट, बकरी के बालों से बनी जट पट्टियाँ, उड़‌खा गाँव का लकड़ी पर नक्काशी का काम प्रसिद्ध है।
  •  यहाँ के बड़वना गाँव में लंगा जाति निवास करती है। रामसर की विकलांग गायिका रुक्मा मांगणियार तथा शिव तहसील के झांपली गाँव के खड्‌ताल वादक सद्दीक खाँ इसी जिले के कलाकार हैं।
  • सिवाणा को ‘बाड़मेर का कश्मीर’ कहा जाता है।
  • पचपदरा (बाड़मेर) में प्रदेश की प्रथम तेल रिफाइनरी स्थापित की जाएगी। 
  • पचपदरा खारे पानी की झील से उत्तम कोटि का नमक उत्पादित होता है।

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बाड़मेर का इतिहास | Barmer History In Hindi

निष्कर्ष:

आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमारी टीम ने बाड़मेर का इतिहास | Barmer History In Hindi की विस्तार से व्याख्या की है, साथ ही बाड़मेर के प्रमुख पर्यटन स्थल का भी वर्णन किया है। Keyword :- Barmer History In Hindi, बाड़मेर का इतिहास ।

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