हनुमानगढ़ का इतिहास: लैण्ड ऑफ ओल्ड सिविलाइजेशन प्राचीन काल में यौद्धेय क्षेत्र के रूप में अपनी पहचान रखने वाला हनुमानगढ़ क्षेत्र विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं के पुरावशेष अपने में समेटे हुए है। यहाँ मिश्र सभ्यता (नील नदी सभ्यता) एवं सिंधु सभ्यता से भी पूर्व की ‘पूर्व हड़प्पा सभ्यता’ तथा हड़प्पा कालीन सभ्यता के अवशेष कालीबंगा में उत्खनन में कहलाए। प्राप्त हुए हैं।
यहाँ विश्व के प्राचीनतम जुते हुए खेत के प्रमाण भी मिले हैं। स्वतंत्रता के पश्चात् यह क्षेत्र श्रीगंगानगर जिले का ही एक अंग था तथा श्रो गंगानगर से 12 जुलाई, 1994 को पृथक होकर राज्य का स्वतंत्र 31वाँ जिला बना। यह क्षेत्र घग्घर नदी की बाढ़ों के लिए प्रसिद्ध है जिसका कारण इस क्षेत्र का तल यहाँ बहने वाली घग्घर नदी के पाट से नीचा होना है। यादवों के वंशज भट्टी ने यहाँ अपना राज्य स्थापित किया। उसके पुत्र भूपत ने सन् 285 में भटनेर (वर्तमान हनुमानगढ़) के किले का निर्माण किया था। इसी के वंशज भाटी कहलाए। भटनेर का दुर्ग मध्यकाल में राजस्थान की उत्तरी सीमा का प्रहरी कहलाता था। (हनुमानगढ़ का इतिहास)
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- हनुमानगढ़ के उत्तर में हरियाणा व पंजाब, पूर्व में हरियाणा, पश्चिम में श्रीगंगानगर व दक्षिण में चुरू जिला है।
- हनुमानगढ़ में केवल घग्घर नदी बहती है।
हनुमानगढ़ का इतिहास प्रमुख मेले व त्यौहार
गोगामेड़ी मेला
सर्पों के देवता’ एवं ‘जाहरपीर’ आदि नामों से प्रसिद्ध लोकदेवता गोगाजी (गोगापीर) के समाधि स्थल गोगामेड़ी (तहसील नोहर, हनुमानगढ़) में गोगाजी के जन्मदिवस पर भाद्रपद कृष्णा नवमी (गोगानवमी) पर 1 माह का गोगामेड़ी का मेला भरता है। इस मेले. में पशुओं का क्रय-विक्रय भी होता है। इस मेले में सभी श्रद्धालु पीतवस्त्र पहनते है। गोगामेडी को ‘धुर मेड़ी’ भी कहते हैं। गोगामेड़ी की बनावट मकबरे के समान है। यहाँ ‘बिस्मिल्ला’ शब्द अंकित है। यह स्थल साम्प्रदायिक सद्भाव एवं एकता की मिसाल है।
सिलामाता
हनुमानगढ़ में प्राचीन सरस्वती नदी के प्रवाह क्षेत्र में स्थित सिलामाता का स्थान जिसे मुस्लिम संप्रदाय के अनुयायी सिलापीर भी कहते हैं। इस सिला पर नमक मिलाकर पानी चढ़ाया जाता है, ऐसी मान्यता है कि सिलामाता पर चढ़े हुए इस पानी को चर्म रोगों पर लगाने से वे सही हो जाते हैं।
भद्रकाली मेला
हनुमानगढ़ के अमरपुरा थेहड़ी में स्थित माँ भद्रकाली मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्रसुदी अष्टमी व नवमी को मेला भरता है। इस मंदिर की स्थापना बीकानेर के महाराजा रामसिंह ने की थी।
ब्राह्मणी माता, पल्लू
पल्लू में प्राचीन गढ़ कल्लूर के खण्डहरों पर स्थित माता ब्राहाणी के मंदिर में प्रत्येक माह की शुक्ला अष्टमी को मेला भरता है, जिसकी इस क्षेत्र में खासी मान्यता है।
हनुमानगढ़ का इतिहास महत्त्वपूर्ण स्थल
संगरिया संग्रहालय
साहिबहरियाणा प्रांत की सीमा से सटे संगरिया कस्बे में स्थित सर छोटू राम स्मारक संग्रहालय की स्थापना स्वामी केशवानंद द्वारा की गई थी। इसमें मिट्टी, धातु, पत्थर, काँच की चूड़ियाँ, पुराने सिक्के, शिलालेख, ताम्र-पत्र, जैन तीर्थंकर शांतिनाथ जी की भव्य प्रतिमा एवं 5 फीट ऊँचा पीतल का कमण्डल आदि वस्तुएँ प्रदर्शित की गई है। (हनुमानगढ़ का इतिहास)
कालीबंगा
एक प्राचीन कस्वा, जहाँ खुदाई के दौरान सिंधु कालीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं। यहाँ का उत्खनन कार्य श्री बी.बी. लाल एवं श्री बी.के. थापर के नेतृत्व में किया गया था। इस पुरासभ्यता के अवशेषों को संग्रहीत करने हेतु राज्य सरकार द्वारा यहाँ कालीबंगा संग्रहालय की स्थापना की गई है। कालीबंगा को सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा जाता है।
भटनेर का किला
यह एक धान्वन दुर्ग है, जिसका निर्माण यदुवंशी राजा भट्टी के पुत्र भूपत ने करवाया था। यहाँ 1398 ई. में तैमूरलंग ने आक्रमण किया था। उस समय इस दुर्ग में हिन्दू, स्त्रियों के साथ-साथ मुस्लिम स्त्रियों ने भी जौहर किये जाने के उल्लेख मिलते हैं। तैमूरलंग ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक ए-तैमूरी’ में लिखा है कि ‘मैंने इतना मजबूत व सुरक्षित किला पूरे हिन्दुस्तान में कहीं नहीं देखा।’ (हनुमानगढ़ का इतिहास)
सुक्खासिंह-महताब सिंह गुरुद्वारा
हनुमानगढ़ टाउन के ऐतिहासिक भटनेर किले के पश्चिम में स्थित करीब ढाई शताब्दी पुराना शहीद बाबा सुक्खासिंह महताब सिंह गुरुद्वारा जन -जन की आस्था व श्रद्धा का प्रथिक है |
गुरुद्वारा कबूतर
हनुमानगढ़ जिले के नोहर कस्बे में सिक्खों के 10वें गुरु गोबिन्द सिंह के 1730 में आगमन की स्मृति में गुरु द्वारा कबूतरसाहिब का निमाण करवाया गया था।
हनुमानगढ़ का इतिहास महत्त्वपूर्ण तथ्य
- पल्लू में हुई खुदाई में सरस्वती की दो जैन मूर्तियाँ प्राप्त हुई है जो सफेद पत्थर पर बेजोड़ तरीके से बनाई हुई अद्वितीय मूतियाँ है। यह मूर्तियाँ दिल्ली खर के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखी गई हैं।
- हनुमानगढ़ में ही अन्य प्राचीन सभ्यता स्थल रंगमहल, बड़ोपल व करनपुरास्थत स्थित हैं।
- खरखेड़ा गाँव (टिब्बी) : इन्दिरा गाँधी नहर का राजस्थान में प्रवेश नुमानगढ़ जिले में टिब्बी तहसील के खरेखड़ा गाँव में होता है !
- तलवाड़ा झील : हनुमानगढ़ जिले में स्थित झील । (हनुमानगढ़ का इतिहास)
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निष्कर्ष:
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमारी टीम ने हनुमानगढ़ का इतिहास के बारे मे वर्णन किया है,हनुमानगढ़ का इतिहास के साथ – साथ हनुमानगढ़ का इतिहास के प्रमुख पर्यटन स्थलों का भी वर्णन किया है।
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