सीकर का इतिहास: 17वीं शताब्दी में स्थापित सीकर जयपुर रियासत का सबसे बड़ा ठिकाना था, जो पूर्व में ‘नेहरावाटी’ के नाम से जाना जाता था। सीकर शहर का प्रारंभिक नाम ‘बीर भान का बास’ था। खण्डेला के महाराजा राजबहादुर सिंह ने ‘बीर भान का बास’ को कसली ठिकाने के जागीदार राव जसवंत सिंह के पुत्र राव दौलतसिंह को सन् 1687 ई. में भेंट कर दिया। तब राव दौलतसिंह ने ‘बीर भान का बास’ में नये ठिकाने ‘सीकर ठिकाने’ की नींव रखी तथा यहाँ सीकर दुर्ग का निर्माण करवाया। (सीकर का इतिहास)
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इसके बाद इनके पुत्र राव शिवसिंह (1721-48 ई.) इस ठिकाने के शासक बने। राव शिवसिंह ने सीकर दुर्ग का निर्माण पूर्ण करवाया एवं ‘बीर भान के वास’ गाँव को ‘सीकर कस्बे’ के रूप में बसाया। सीकर कस्बा चारों ओर यहाँ के शासक शिवसिंह द्वारा बनवाये गये परकोटे से आबद्ध है, जिसमें 7 दरवाजे- बावड़ी दरवाजा, फतेहपुरी दरवाजा, नानी गेट, सूरजपोल गेट, दूजोद गेट,न्यू दूजोद गेट एवं चाँदपोल दरवाजा हैं।
चुरू, सीकर एवं झुंझुनूं जिलों को मिलाकर सम्मिलित रूप से शेखावाटी क्षेत्र कहते हैं। सीकर को शेखावाटी का प्रवेश द्वार एवं शेखावाटी का हृदय स्थल भी कहते हैं। सीकर ठिकाने की स्थापना विक्रम संवत् 1744 में राव दौलतसिंह ने की थी। सीकर जिले की आकृति अर्द्धचन्द्र या प्याले के आकार की है।(सीकर का इतिहास)
राव शिवसिंह के ही वंशज राव देवी सिंह ने सीकर ठिकाने को शेखावाटी का सबसे सुदृढ़ व शक्तिशाली राज्य बना दिया था। राव देवी सिंह ने रघुनाथगढ़ दुर्ग एवं देवगढ़ दुर्ग का निर्माण कराया एवं रामगढ़ शेखावाटी कस्बा बसाया। इसका शासनकाल ‘सीकर के शासन का स्वर्णकाल’ कहा जाता है। इनके उत्तराधिकारी लक्ष्मणसिंह 1975 में सीकर के शासक बने। उन्होंने लक्ष्मणगढ़ दुर्ग का निर्माण कराया।
जयपुर महाराजा सवाई जगतसिंह ने इन्हें प्रसन्न होकर ‘राव राजा’ की उपाधि प्रदान की। इन्हीं केवंशज राव राजा माघवसिंह (1866-1922 ई.) ने सीकर में ‘माधव निवास कोठी’ एवं बहुत विशाल विक्टोरिया डायमण्ड जुबली हॉल का निर्माण करवाया।
1956 के भयंकर अकाल में उन्होंने अकाल राहत कार्यों के तहत ‘माधव सागर तालाब’ का निर्माण करवाया। सीकर ठिकाने के अंतिम शासक राव राजा कल्याणसिंह थे। इन्होंने सीकर में क्लॉक टॉवर, कल्याण हॉस्पिटल एवं कल्याण महाविद्यालयों की स्थापना की।(सीकर का इतिहास)
क्षेत्र | 7,742.43 वर्ग। किमी। |
जनसंख्या (2011 की जनगणना के अनुसार) | 26,77,333 13,74,990 13,02,343 |
राजा | कल्याण सिंह |
पंचायत समितियां | 09 |
उप-तहसील | 05 |
तहसीलों | 09 |
उप-विभाजन | 09 |
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र | 08 |
सीकर का इतिहास प्रमुख मेले व त्यौहार
मेला | स्थान | दिन |
खाटू श्याम बाबा का मेला | खाटू श्यामजी | फाल्गुन शुक्ल 11-12 |
जीण माता का मेला | रेवासा ग्राम | नवरात्रा चैत्र एवं आश्विन |
शाकम्भरी माता | सकराय | नवरात्रा |
बालेश्वर मेला | बालेश्वर | श्रावण माह |
सीकर का इतिहास प्रमुख मंदिर
खाटू श्याम जी
सीकर के ग्राम में यह तीर्थ स्थित है। यहाँ भगवान कृष्ण के ही स्वरूप श्यामजी का मंदिर है। । यहाँ श्यामजी की को बाहो मुखाकृति दाड़ों पूँछ से समन्वित है। श्याम बाबा को शीशदानी बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर में विशाल मेला (खाटू वाले श्याम बाबा का मेला) भरता है।
जीणमाता, सीकर
सीकर में रेवासा ग्राम से दक्षिण की ओर अरावली पर्वतमाला को उपत्यका जाता है।
हर्षनाथ का मंदिर
हर्षनाथ सदी की लिंगोद्भव मूर्ति में ब्रह्मा व विष्णु को शिवलिंग का आदि एवं हर्ष की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में 10वीं सदी की दर में विप्रहराज चौहान के काल में निर्मित के द्वारा बनवायाम मंदिर क हषागार करते हुए दिखाया गया है। नाथ मंदिशी की पूर्ण हुआ। यह अल्लट नाम के शैव आचार्य द्वारा बनवाया गया था। हर्ष’ के नाम से महादेव की आबाद शुक्ती जाती थी। हर्षनाथ के मंदिर को 3 दिसम्बर, 1834 को प्रकाश में लाने का श्रेय साकेश को है।
गणेश्वर का शिव मंदिर
गणेश्वर का शिव मंदिर श्रद्धा और भक्ति का पूज्य स्थल है। यहाँ गरम पानी का झरना, जिसे ‘गालव गंगा’ कहते हैं, आकर्षण है।
चित्रकूट धाम नीमड़ा
सीकर जिले की श्रीमाधोपुर तहसील में नीमड़ा गाँव में स्थित गोपाल मंदिर। राधा-कृष्ण जी का यह मंदिर संत गोपालदास द्वारा गया था। इसलिए इसे गोपाल मंदिर कहा जाता है। प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला चतुर्दशी को यहाँ विशाल मेला भरता है।
श्री पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र (खण्डेला)
खण्डेला गाँव एक ओर कांतली नदी के उद्गम स्थल के लिए जाना जाता है, दूसरी ओर यहाँ 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी को के बीच के प्रदेश में इत अतिशयकारी मंदिर है। इस स्थान को खण्डेलवाल जैनों का उद्गम स्थल भी माना जाता है।
सप्त गौमाता मंदिर रैवासा धाम
रैवासा धाम में एक सप्त गौ माता मंदिर का निर्माण किया गया है जो भारत का चौथा एवं राजस्थान का प्रथम गौ माता मंदिर है।
श्री दिगम्बर जैन भव्योदय अतिशय
यहाँ भव्य जिनालय में आदिनाथ भगवान व 8वें तीर्थकर चन्द्रप्रभु भगवान की पद्मासन प्रतिमा विराजमान है।
सीकर का इतिहास प्रमुख दर्शनीय स्थल
गणेश्वर टीला
नीम का थाना के निकट काँतली नदी के उद्गम स्थल पर स्थित इस टीले के उत्खनन पर ताम्रयुगीन सभ्यता के अवशेष बहुतायत में क्षेत्रफल हैं। गणेश्वर सभ्यता को ‘ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी’ कहा जाता है। (सीकर का इतिहास)
लक्ष्मणगढ़ दुर्ग
लक्ष्मणगढ़ दुर्ग लक्ष्मणगढ़ दुर्ग का निर्माण लक्ष्मणगढ़ कस्बे में बेड नामक पहाड़ी पर सीकर के राव राजा लक्ष्मणसिंह ने सन् 1805 (वि.सं. 1862) में कराया था। यह किला अपनी विशिष्ट निर्माण कला के लिए जाना जाता है।
ख्वाजा हाजी मुहम्मद हुजूर न जाम सुलेमानी की दरगाह
हुजूर न जाम सुलेमानीकिस अपनी विशिष्ट निर्माणा की यह दरगाह फतेहपुर शेखावाटी में स्थित है। ख्वाजा सुलेमानी ने 13वीं सदी में इस क्षेत्र नन्मुद्दीन सुलेमानी में आकर चिश्ती सिलसिले का प्रसार किया था |
फतेहपुरी शेखावाटी
इस कस्बे में नयनाभिराम एवं आकर्षक व अत्यंत सुन्दर भित्ति चित्रों से युक्त विशाल हवेलियाँ जैसे- सावंत राम चोखानी की हवेली, बंशीधर जी राठी की हवेली, सांगानेरियाजी की हवेली, मिर्जामल क्याल हवेली आदि स्थित हैं। (सीकर का इतिहास)
सरस्वती पुस्तकालय
दुर्लभ प्राचीन ग्रन्थों, चित्रों एवं पाण्डुलिपियों के विशाल संग्रह का सरस्वती पुस्तकालय सीकर जिले के फतेहपुर कस्बे में स्थित है।
प्रीतमपुरी की झील
कावंट ग्राम (सीकर) में स्थित झील।
अन्य स्थल
रामगढ़ (पौद्दारों की हवेली, बैजनाथ रुइया की हवेली आदि), फतेहपुर (कायमखानी नवाब फतेहखाँ द्वारा 15वीं शती में बसाया गया, सूरजगढ़, काजरा आदि कस्बे हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है। सकराय माता (सनकारी माता) का प्रसिद्ध मंदिर भी यहीं सकराय गाँव में है।
सीकर का इतिहास महत्वपूर्ण तथ्य
- सीकर जिला ‘शेखावाटी की हृदय स्थली’ के रूप में जाना जाता है।
- यह जिला पहले जयपुर राज्य के एक ठिकाने के रूप में जाना जाता था। तत्कालीन जयपुर राज्य की तोरावाटी निजामत एवं सवाई रामगढ़ तहसील का मुख्यालय नीम का थाना, सांभर निजामत की दातारामगढ़ तहसील एवं प्रमुख नगर श्रीमाधोपुर व खण्डेला ठिकाने को शामिल करके इसे जिले का रूप दिया गया।
- कांतली, मंथा, पावटा, कावत यहाँ की मुख्य नदियाँ है।
- सीकर जिले के मध्यभाग को पनढाल कहा जाता है जहाँ से उत्तर, दक्षिण व पूर्व की ओर बहाव क्षेत्र है।
- यह राज्य का पहला हाईटेक जिला है।
- राज्य का प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र सीकर जिले के ही फतेहपुरवाटी गाँव में स्थापित किया गया है।
- लक्ष्मणगढ़ की हवेलियाँ : लक्ष्मणगढ़ की हवेलियाँ भी सुन्दर चित्रकारी के लिए जानी जाती है। इन हवेलियाँ में सनवतराम चौखाणी की हवेली, शिवनारायण मिर्जामल कायला की वहेली, बालमुकुन्द बंशीधर राठी की हवेली, रमाविलास सांगरिया हवेली, केसरदेव सर्राफ की हवेली, मुल्तान चंद केडिया की हवेली, शिकारिया भवन, जिजोड़िया हवेली, जवाहरमल पंसारी की हवेली, तोलाराम परशुराम पुरिया की हवेली, मुरली मनोहर मंदिर, रघुनाथ जी का मंदिर तथा नाथजी का आश्रम आदि दर्शनीय हैं।
- देवराला : यह 1987 में रूपकँवर सती काण्ड के कारण देवराला चर्चा में आया।
- खण्डेला गाँव: यह गाँव गोटा किनारी उद्योग के लिए जाना जाता है।
- पाटोदा : यह गाँव अपने प्रसिद्ध लूगड़ों के लिए जाना जाता है।
- रेशमा महल : यह सीकर में है। इसका संबंध नेपाल के गिरिराज प्रसाद कोइराला के पूर्वजों से बताया जाता है। (सीकर का इतिहास)
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निष्कर्ष:
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमारी टीम ने सीकर का इतिहास के बारे मे वर्णन किया है,सीकर का इतिहास के साथ – साथ सीकर के प्रमुख पर्यटन स्थलों का भी वर्णन किया है।
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