राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan: राजस्थान में दो प्रकार की झीलें पाई जाती है (1) खारे पानी की झीलें (2) मीठे पानी की झीलें खारे पानी की झीले मुख्यतः उत्तरी-पश्चिमी मरुस्थलीय भाग में पाई जाती है। इस क्षेत्र का टेथिस सागर का अवशेष होना यहाँ की झीलों के खारेपन का एक कारण है। अरावली के पूर्वी भाग में पाई जाने वाली झीलें मीठे पानी की झीलें हैं। राज्य में कृत्रिम एवं प्राकृतिक दोनों प्रकार की झोले विद्यमान हैं। राज्य में प्राचीनकाल से ही यहाँ के निवासी मानव जीवन में झीलों के महत्व को मद्देनजर रखते हुए शीलों के निर्माण पर ध्यान देते थे।
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कई स्थानों पर राजा-महाराजाओं ने अपने ऐशो-आराम एवं मनोरंजन हेतु झीलों का निर्माण करवाया तो कई बार बंजारों या सेठ साहूकारों ने अपनी मन्नते पूरी होने पर जन साधारण के लाभार्थ झीलें बनवाई। प्राकृतिक रूप से बनी झीलों में विवर्तनिक झीलें (पृथ्वी की आंतरिक हलचल के कारण निर्मित झीलें), ज्वालामुखी उद्गार से बनी झीलें, अनूप झीलें, हिमानी निर्मित झीलें एवं वायु द्वारा निर्मत्त झीलें शामिल की जाती हैं। पश्चिमी राजस्थान में वायुद्वारा निर्मित्त झीलें अधिक हैं। इन्हें ढाढ़ भी कहते हैं। ये झीलें अस्थाई होती हैं। राजस्थान की अधिकांश झीलें आन्तरिक प्रवाह प्रणाली का हिस्सा हैं। प्रदेश की मुख्य झीलों का विस्तृत विवरण अग्र प्रकार है :-
राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan:- खारे पानी की झीलें
राजस्थान के पश्चिमी भाग में अधिकांश झीलें खारे पानी की हैं। इस भाग में झीलों में खारा पानी होने के संबंध में अधिकांश भू-गर्भशास्त्रियों का मत है। कि यह भाग टेथिस सागर का अवशेष है। दूसरा कारण इन झीलों में आस- पास से नदियों द्वारा प्रतिवर्ष नमक के कण बहाकर लाये जाते हैं तथा ग्रीष्म ऋतु में पानी के वाष्प बनकर उड़ जाने से इनका खारापन बढ़ता रहता है। इन झीलों के खारेपन का तीसरा एवं महत्त्वपूर्ण कारण इन झीलों के पेटे के नीचे माइकाशिष्ट लवणीय चट्टानों का बाहुल्य होना है जिनसे केशाकर्षण पद्धति से नमक के कण घुलकर धीरे-धीरे ऊपर पानी में आते रहते हैं।
यही कारण है कि इन झीलों से हर वर्ष हजारों टन नमक का उत्पादन किया जाता है। नदियों द्वारा लाये गये नमक के कणों को बाह्य स्रोत एवं केशाकर्षण पद्धति से ऊपर आये नमक को आंतरिक स्रोत कहा जाता है। राज्य मेंअवस्थित खारे पानी की प्रमुख झीले निम्न है- राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan
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सांभर झील
जयपुर जिले में सांभर में स्थित यह दरील भारत की दूसरी सबसे बड़ी (चिल्का के बाद) खारे पानी की झील है, यह आंतरिक जल क्षेत्र की भारत की खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। भारत के कुल नमक उत्पादन का 8.7% यहीं से उत्पादित होता है। यहाँ नमक का उत्पादन मुगल काल से ही किया जाता रहा है। इसकी लम्बाई द पूर्व से उत्तर पश्चिम की ओर लगभग 32 किमी है तथा चौड़ाई 3 से 12 किमी है। इसका मुख्य अपवाह क्षेत्र 500 वर्ग किमी है। यहाँ उत्तम किस्म का नमक होता है। यह झील तीन जिलों जयपुर, अजमेर एवं नागौर की सीमा बनाती है। यह सील 27 से 29 उत्तरी अक्षांश एवं 74° से 75 पूर्वी देशान्तरों के मध्य स्थित है। इसका तल समुद्र तल से भी नीचा है। यहाँ पर 4000MW का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया जाना प्रस्तावित है।
सांभर झील का अपवाह क्षेत्र उत्तर में कांतली नदी बेसिन से पूर्व में बाण्डी नदी प्रवाह क्रम, दक्षिण में मांसी नदी बेसिन एवं पश्चिम में लूनी नदी बेसिन से घिरा हुआ है। इस झील के पश्चिम में शुष्क जलवायु एवं पूर्व में अर्द्धशुष्क जलवायु पाई जाती है। इसमें छोटी-बड़ी 5 नदियों का पानी आता है। ये नदियों है- मेंथा या मेवा, रूपनगढ़, खारी, बाण्डो का नाला एवं खण्डेल नदी । इसके अलावा देवयानी नाला, नलियासर नाला व तुरतमती नदी भी इसमें गिरती है। सांभर झील आंतरिक प्रवाह क्षेत्र है। इस आंतरिक अपवाह क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 5702.6 वर्ग किमी. है। राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan
डीडवाना झील
यह झोल डीडवाना (नागौर) में स्थित है। यह झोल लगभग 4 किमी लम्बी एवं 3 से 6 किमी चौड़ी है। इसके तले के नीचे लवणीय चट्टाने व लवणीय जल के भंडार हैं। यहाँ का नमक प्रायः खाने के योग्य नहीं होता। क्योंकि यहाँ के नमक में सोडियम की जगह सल्फेट की मात्रा अधिक होती है।
पचपदरा झील
राजस्थान के सुदूर पश्चिमवर्ती क्षेत्र बालोतरा (बाड़मेर) में पचपदास्थान पर स्थित इस झील में उत्तम श्रेणी का नमक उत्पादित होता है। इस झील में खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी के उपयोग द्वारा नमक के स्फटिक बनाते हैं। यहाँ के पानी में 98 प्रतिशत तक सोडियम क्लोराइड (नमक) होता है। इसमें नमक का मुख्य स्रोत नदियों द्वारा बहाकर लाये गये नमक के कण हैं। राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan
फलादी झील
जोधपुर जिले के फलोदी कस्बे में स्थित खारे पानी की झील।
लूनकरणसर झील
यह झील बीकानेर जिले के लूनकरणसर कस्बे में स्थित है। यहाँ से कम मात्रा में नमक का उत्पादन होता है।
अन्य खारी झीलें
कावोद(जैसलमेर), डेगाना(नागौर), कुचामन (नागौर)) तालछापर (चुरू), कशोर, रेवासा, इरादा एवं भोव (बाड़मेर)
राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan:-मीठे पानी की झीलें
राज्य में मोठे जल की अनेक झोले हैं। ये झोले न केवल उ कराती है बल्कि सिंचाई के लिए भी जल उपलब्ध कराती है एवं राज्य में मत्स्य उत्पादन को संभव बनाती है। इसके अलावा में अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण देश-विदेश के हजारों पर्यटकों की आकर्षित कर राजम की अर्थव्यवस्था में अतुल्य योगदान करती है। राज्य को मीठे पानी की प्रमुख झीलें निम्न हैं-
जयसमंद (उदयपुर) झील
सन् 1685-1691 की अवधि में उदयपुर के महाराणा जयसिंह द्वारा इसका निर्माण गोमती नदी पर बाँध बनाकर किया गया। वह गोविंद सागर जलाशय (भाखरा बाँध, हिमाचल प्रदेश के बाद) ताजे मीठे पानी की एशिया की सबसे बड़ी व सबसे पुरानी कृत्रिम झील है। इस झील में 7 बड़े टापू है जिसमें भोल व मीणा जनजाति के लोग रहते हैं।’ बाबा का भागड़ा’ झील में स्थित सबसे बड़ा टापू है। इसमें एक यप का नाम ‘प्यारी’ है। इसे देवर झील भी कहते हैं। यह झील 24 12 से 24 18 उम्र अक्षांशों एवं 73°56′ से 74 13′ पूर्वी देशान्तरों के मध्य स्थित है। इस झोल से सिंचाई हेतु दो नहरे- श्यामपुरा व भाट नहरें निकाली गई है। इस झील के मनोहारी एवं सुरम्य पहाड़ियों से घिरी होने के कारण इसका पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्त्व है। यह झील लगभग 15 किमी. लम्बी एवं 2 से 8 किमी. चौड़ी है। राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan
राजसमंद झील
1662 ई. में महाराणा राजसिंह द्वारा काकरोली (राजसमंद) के निकट अकाल राहत कार्यक्रम के तहत इस झील का निर्माण प्रारंभ करवाया जो 1676 ई. में पूर्ण हुआ। इस झील में गोमती नदी गिरती है।
नौचौकी की पाल
राजसमंद झील की उत्तरी पाल, जहां 25 शिलालेखों पर राजसिंह प्रशस्ति उत्कीर्ण है, जिसमें मेवाड़ का इतिहास संस्कृत भाषा में लिखा है। यह झील 65 किमी. लम्बी व 3 किमी. चौड़ी है।
पिछोला झील
यह झील 14वीं शती के अंत में मेवाड़ शासक राणा लाखा के काल में एक बंजारे द्वारा उदयपुर के पश्चिम में पिछोला गाँव के निकट निर्मित कराई गई। इसी के किनारे उदयपुर महाराणाओं के महलों (सिटी पैलेस) का निर्माण हुआ है। महाराणा उदयसिंह ने इसकी मरम्मत कराई थी। इसमें दो टापू हैं, जिन घर जगमंदिर व जगनिवास महल स्थित हैं। खुर्रम (शाहजहाँ) ने बादशाह जहाँगीर के विरुद्ध विद्रोही दिनों में यहाँ आकर शरण ली थी। वर्तमान में इन महलों में लेक पैलेस होटल संचालित है। राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan
फतेहसागर झील
मेवाड़ महाराणा फतेहसिंह द्वारा 1888 में में पुननिर्मित प्रारम्भ में इस तालाब को महाराणा जयसिंह ने सन् 1687 थूर के तालाब के साथ ही बनवाया था। यह नहर द्वारा जुड़ी हुई है। इसके बाँध की नींव का पत्थर ड्यूक ऑफ कनॉट द्वारा जाने से इसका नाम कनाट बांध भी है तथा झील फतहसागर के नाम से पिछोला झील से प्रसिद्ध है। इसमें एक टापू पर सौर बेधशाला स्थित है।
उदयसागर झील
महाराणा उदयसिंह द्वारा 1559 से1564 अवधि में निर्मित की गई। आयड़ नदी इसमें गिरती है तथा इसके बाद उसका नाम बेड़च नदी हो जाता है।
नक्की झील
माउन्ट आबू (सिरोही) में रघुनाथजी के मंदिर के पास स्थित झील। यह राजस्थान की सबसे ऊँची झोल है। टॉड रॉक व नन रॉक यहाँस्थित विशाल चट्टानें हैं। आख्यानों के अनुसार इसका निर्माण देवताओं द्वारा अपने नाखूनों से खोदकर किया गया था।
आनासागर झील
अजमेर में स्थित इस झील का निर्माण पृथ्वीराज चौहान के दादा अरणोराज (अन्नाजी) ने सन् 1137 में कराया था। इस झील के किनारे सम्राट जहाँगीर ने दौलत बाग (सुभाष उद्यान) तथा शाहजहाँ ने संगमरमर की बारहदरी, (छतरियाँ या मण्डप) का निर्माण करवाया। इसमें बांडी नदी एवं दोनों ओर के पहाड़ों का पानी आता है। इसके बारे में कहा जाता है कि अन्नाजी ने अनेक शत्रुओं को मारकर उनके खून को धोने हेतु इस झील का निर्माण करवाया था।
फॉयसागर झील
अजमेर में स्थित इस झील का निर्माण अंग्रेज इंजीनियर फॉय के निर्देशन में अकाल राहत परियोजना के तहत बांडी नदी के पानी को रोककर हुआ। इसका अतिरिक्त पानी बाण्डी नदी के माध्यम से आनासागर में जाता है। राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan
पुष्कर झील
अजमेर से उत्तर-पश्चिम में 11 किमी दूर पुष्कर में स्थितधार्मिक व पवित्र झील, जहाँ हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है। यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। पुष्कर को सभी भारतीय हिन्दू तीर्थों में श्रेष्ठ माना गया है। इसके पास ही विश्वप्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर स्थित है। इसके तीनों ओर सुन्दर व हरी-भरी पहाड़ियाँ स्थित हैं। सिलीसेढ़ झील : अलवर जिले में अलवर-जयपुर सड़क मार्ग पर स्थित यह झील अरावली पर्वत मालाओं के बीच में चारों ओर से सुरम्य वनों से घिरी हुई अत्यंत मनमोहक दिखाई देती है। यहाँ 1845 ई. में अलवर के महाराजा विनयसिंह ने अपनी रानी हेतु एक शाही महल व लॉज बनावाया, जो आजकल ‘लेक पैलेस होटल’ के रूप में चल रहा है। सरिस्का अभयारण्य यहीं स्थित है।
कोलायत झील
बीकानेर जिले में कोलायत कस्बे में स्थित झील, जहाँ कपिल मुनि की तपोभूमि व आश्रम स्थित है। यहाँ प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेला भरता है। यहाँ कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला भरता है एवं पवित्र स्नान होते हैं।
बालसमंद झील
जोधपुर में स्थित इस झील का निर्माण सन् 1159 में प्रतिहार शासक बालक राव ने करवाया था।
मीठे पानी की अन्य झीलें
गेब सागर (डूंगरपुर), नवलखा झील (बूंदी), रामगढ़ झील (जमुवा रामगढ़, जयपुर), कायलाना झील (जोधपुर), गजनेर झील (बीकानेर) आदि । राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- अमेजन नदी (ब्राजील, पेरू आदि देशों में) का अपवाह क्षेत्र विश्व में सर्वाधिक है।
- राजस्थान की अपवाह प्रणाली को यहाँ की भूगर्भिक संरचना ने सर्वाधिक प्रभावित किया है जिसमें अरावली पर्वतमाला एवं महान् भारतीय जल विभाजक रेखा का स्थान महत्त्वपूर्ण है l
- राज्य की नदियों को 15 जलग्रहण क्षेत्रों एवं 58 उपजलग्रहण क्षेत्रों में विभाजित किया गया है
- राज्य के प्रवाह क्षेत्र का 16 प्रतिशत भाग जिसमें लूनी, माही, प. बनास, साबरमती आदि नदियाँ सम्मिलित हैं, अरब सागर प्रवाह क्रम से संबंधित है तथा प्रवाह क्षेत्र का लगभग 24 प्रतिशत भाग जिसमें चंबल व उसकी सहायक नदियाँ, बनास एवं कालीसिंध आदि तथा बाणगंगा आदि नदियाँ सम्मिलित की जाती हैं, बंगाल की खाड़ी प्रवाह क्रम से संबंधित है। राज्य शेष 60 प्रतिशत प्रवाह क्षेत्र आन्तरिक प्रवाह का हिस्सा है।
- राजस्थान में तीन जल प्रपात हैं-1. चम्बल नदी पर चूलिया जल प्रपात, भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) 2. मांगली नदी पर भीमतल जल प्रपात (बूंदी) 3. मेनाल नदी पर मेनाल जल प्रपात (भीलवाड़ा)
- घग्घर राजस्थान में आंतरिक प्रवाह वाली सबसे लंबी नदी है।
- कांठल : माही नदी के कांठे में स्थित प्रतापगढ़ का भू भाग ।
- नाली हनुमानगढ़ में घग्घर नदी के पाट को ‘नाली’ के नाम से जानते हैं।
- लिटिल रन : कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र का मैदान ‘लिटिल रन’ के नाम से जाना जाता है।
- त्रिवेणी: बीगोद व मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) के मध्य बनास, मेनाल व बेड़च नदियों का संगम स्थल ।
- सीसारमा व बुझड़ा नदी : उदयपुर की पिछोला झील को भरने वाली नदी ।
- राजस्थान में बहने वाली ऋग्वैदिक नदियाँ सरस्वती व दृषद्वती ।
- पन्नालाल शाह का तालाब (खेतड़ी, झुंझुनूं): 1870 में सेट पन्नालाल शाह ने बनवाया था। खेतड़ी के राजा अजीतसिंह के आमंत्रण पर पधारे स्वामी विवेकानन्द को इसी तालाब के किनारे बने आवास में ठहराया गया था। राजस्थान की प्रमुख झीलें | Lakes of Rajasthan
- राजस्थान की अपवाह प्रणाली को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला महत्त्वपूर्ण कारक राज्य की पर्वत श्रेणियाँ एवं महान् भारतीय जल विभाजक रेखा है।
- अपवाह तंत्र : निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जल प्रवाह को ‘अपवाह’ कहते हैं तथा इन वाहिकाओं के जाल को ‘अपवाह तंत्र’ कहते हैं। जब एक नदी अपने सहायक नदी-नालों सहित जिस क्षेत्र का जल प्रवाहित कर आगे बढ़ती हैं, वह क्षेत्र उसका प्रवाह क्षेत्र / नदी द्रोणी या जल अपवाह क्षेत्र / नदी बेसिन या जल ग्रहण क्षेत्र कहलाता है। छोटी नदियों या नालों के अपवाह क्षेत्र को ‘जल संभर’ कहते हैं।
- राजस्थान की अधिकांश नदियाँ या तो प्रौढ़ावस्था प्राप्त कर चुकी हैं या प्राप्त करने की प्रक्रिया में है।
- राज्य में भूजल की स्थिति – 2013 में राज्य में कुल 248 भूजल ब्लॉक्स थे जिनमें दोहन की स्थिति निम्नप्रकार हैंl
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