धौलपुर का इतिहास: राजस्थान की दो जाट रियासतों में भरतपुर के बाद दूसरी जाट रियासत धौलपुर रियासत थी। धौलपुर पर समय-समय पर मुगल शासकों, ग्वालियर के सिंधिया एवं जाट वंश का शासन रहा। 1804 ई. में अंग्रेजों द्वारा ग्वालियर के कुछ हिस्सों के साथ धौलपुर, बाड़ी एवं राजाखेड़ा के परगने देकर धौलपुर की स्वतंत्र रियासत गठित की। जाट (राना) शासक कीरतसिंह को वहाँ का शासक बना दिया। राजस्थान के पूर्वी भाग में स्थित यह जिला 15 अप्रैल, 1982 को राज्य का 27वाँ जिला l(धौलपुर का इतिहास)
![धौलपुर का इतिहास](https://pastpuzzler.in/wp-content/uploads/2023/09/धौलपुर-का-इतिहास-1024x580.webp)
पहले यह भरतपुर जिले का उपखंड था। स्थानीय भाषा में यह क्षेत्र डाँग के नाम से जाना जाता है। धौलपुर शहर की स्थापना तोमर वंश के शासक धवलदेव द्वारा 11वीं शती में की गई। इसे प्रारम्भ में धवलपुरी/धौलागिरी कहा जाता था। यहाँ का लाल पत्थर (धौलपुर स्टोन) भवन निर्माण में बहुतायत से प्रयुक्त होता है एवं रैड डायमंड के नाम से जाना जाता है। जिले में मध्यप्रदेश की सीमा चम्बल नदी बनाती है तथा उत्तरप्रदेश राज्य का सीमांकन पार्वती नदी करती है। करौली व भरतपुर इसकी सीमा बनाते है। (धौलपुर का इतिहास)
सामूगढ़ का युद्ध धौलपुर का प्रसिद्ध युद्ध कहा जाता है जो ‘रा-का-चबूतरा’ जगह पर लड़ा गया था। यह युद्ध औरंगजेब व उसके बड़े भाई दारा शिकोह की सेना के मध्य 1658 में उत्तराधिकार के लिए लड़ा गया जिसमें औरंगजेब की विजय हुई थी। ब्रिटिश शासन के दौरान 1857 की क्रांति में धौलपुर में राव रामचन्द्र एवं हीरालाल के नेतृत्व में क्रांतिकारी सैनिकों ने धौलपुर के शासन पर अधिकार कर लिया था। (धौलपुर का इतिहास)
2 माह तक क्रांतिकारियों का अधिकार रहने के बाद पटियाला की अंग्रेज सेना ने आकर धौलपुर पर अधिकार किया। 1936 में यहाँ धौलपुर प्रजामंडल का गठन हुआ। देश के स्वतंत्र होने के बाद राजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया के प्रथम चरण में धौलपुर, भरतपुर, करौली एवं अलवर को मिलाकर मत्स्य संघ का गठन हुआ तथा धौलपुर महाराजा उदयभानुसिंह जी मत्स्य संघ के राजप्रमुख बनाये गये। मत्स्य संघ के राजस्थान में विलय के बाद धौलपुर को भरतपुर जिले में शामिल किया गया जो बाद में पृथक जिला बना। यह राज्य का सबसे पूर्वी जिला है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे छोटा जिला है।
- धौलपुर के पश्चिम में करौली व भरतपुर, उत्तर में आगरा (उत्तरप्रदेश) व पूर्व में तथा दक्षिण में मध्यप्रदेश है।
- जिले का सबसे बड़ा बाँध अंगाई बाँध है जो राजस्थान का सबसे लम्बा कच्चा बाँध भी है। यह पार्बती नदी पर बना है।
धौलपुर का इतिहास प्रमुख मेले व त्यौहार
मेला | स्थान | दिन |
तीर्थराज (मचकुण्ड) मेला | मचकुण्ड, धौलपुर | भादवा सुदी षष्टमी |
सैपऊ महादेव | सैपऊ, धौलपुर | फाल्गुन व श्रावण मास में चतुर्दशी को |
प्रमुख मंदिर
सैपऊ महादेव, सैपऊ, धौलपुर
पार्वती नदी किनारे सैपऊ कस्बे के पास स्थित प्रमाद मंदिवस काही विशाल शिवलिंग है। गंगा स्नान को जाने वाले लोग गंगाजी से नंगे पैर पैदल चलकर गंगाजल की कावड़ें कंधों पर ला-लाकर यहाँ शिव का अभिषेक करते हैं। (धौलपुर का इतिहास)
महाकालेश्वर मंदिर
सरमथुरा कस्बे में स्थित इस मंदिर में भाद्रपद शुक्ला सातमी से सदर रिशतक विशाल मेला भरता है। सरमथुरा कस्बे की स्थापना 1327 है. के लगभग पालवंश के अर्जुन देव ने की थी।
मचकुण्ड तीर्थ
यह प्रसिद्ध हिन्दु तीर्थ स्थल है। इसे सब तीर्थों का भान्जा कहा गया है जो जिले के गंधमादन पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि मचकुण्ड में स्नान से चर्मरोग दूर हो जाते हैं। सिक्खों के 10वें व अंतिम धर्मगुरु गुरु गोविंद सिंह 4 मार्च, 1662 को ग्वालियर से आते समय यहाँ ठहरे थे। उन्होंने यहाँ तलवार के एक ही वार से एक दुर्दान्त शेर का शिकार किया था। उनकी स्मृति में यहाँ दाताबंदी छोड़ शेर शिकार गुरुद्वारा बना हुआ है। यहाँ प्रतिवर्ष भादों सुदी षष्ठमी को मेला (देवछठ का मेला) लगता है। यह यहाँ का सबसे बड़ा मेला है।(धौलपुर का इतिहास)
राधा बिहारी मंदिर
धौलपुर कस्बे में धौलपुर पैलेस के पास स्थित भव्य मंदिर जिसमें ताजमहल की तरह की बारीक नक्काशी धौलपुर के लाल स्टोन पर की गई है।
क्षेत्रफल | 3034 वर्ग किमी. |
स्थापना | 1982 |
लिंगानुपथ | 846 |
जनसंज्ञा | 1,206,516 |
पर्यटन व दर्शनीय स्थल
लासवाड़ी
यह धौलपुर का एक ऐतिहासिक स्थान है जहाँ सन् 1803 में दौलत राव सिंधिया को लॉर्ड लेक ने हराकर उसकी हत्या कर दी थी। यहाँ दमोह जलप्रपात व मुगल बाग भी है।
खानपुर महल (कानपुर महल)
यह मुगल बादशाह शाहजहाँ का आरामगाह (pleasure house) था। इसके पास ही तालाब-ए-शाही झील है इनका निर्माण सन् 1622 ई. में जहाँगीर के मनसबदार सुलेह खाँ खान ने शाहजहाँ हेतु कराया था। (धौलपुर का इतिहास)
शेरगढ़ का किला
कुषाण शासनकाल में राजा मालदेव द्वारा निर्मित इस दुर्ग को 1540 ई. में शेरशाह सूरी ने पुनः बनवाया था, इसलिए इसका नाम ‘शेरगढ़’ पड़ा। यह किला धौलपुर के प्रथम राजा कीरतसिंह की राजधानी था। शेरगढ़ दुर्ग साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए भी जाना जाता है। इसमें जहाँ एक और सद्दीक मुहम्मद खाँ के मकबरे के पास शेरशाह द्वारा निर्मित मस्जिद है तो वहीं पास में हनुमानजी का प्रसिद्ध मंदिर भी है। (धौलपुर का इतिहास)
हुनहुँकार तोप
सिंह मुखाकृति में अष्ट धातु की इस तोप का निर्माण धौलपुर के प्रथम शासक महाराज कीरत सिंह ने करवाया था। इसे कुशल कारीगर श्री सीताराम ने तैयार किया था। इसका वजन 1400 मन व लम्बाई 19 फीट है।
निहाल टावर
यह शहर का 8 मंजिला घंटाघर है, जिसका निर्माण सन् 1880 ई. में राजा निहालसिंह ने प्रारंभ किया था जो 1910 ई. में महाराजा रामसिंह के काल में पूर्ण हुआ। यह भारत का सबसे बड़ा घंटाघर है। इसकी घड़ी का निर्माण इंग्लैण्ड में हुआ था।
तालाब-ए-शाही
धौलपुर की बाड़ी तहसील में स्थित इस झील तथा इसके किनारे स्थित खानपुर महलों का निर्माण जहाँगीर के मनसबदार सुलेह खान द्वारा शाहजादे खुर्रम (शाजहाँ) के लिए करवाया था।
दमोह जलप्रपात, धौलपुर
सरमथुरा कस्बे से 28 किमी. दूर एवं बाड़ी कस्बे से 33 किमी दूर सोने के गुर्जा के पास स्थित यह प्राकृतिक जलप्रपात अनुपम है।
गजरा का मकबरा
धौलपुर शहर के बीच नृसिंह बाग में स्थित इमारत जिसे धौलपुर रियासत के राजा भगवंत सिंह (1836-73) ने अपनी प्रेमिका गजरा की याद में बनवाया।
जुबली हॉल
धौलपुर का यह कलात्मक भवन धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयभान सिंह ने किंग जार्ज पंचम की सिल्वर जुबली के उपलक्ष्य में सन् 1935 में बनवाया था।(धौलपुर का इतिहास)
अन्य स्थल
बीबी जरीना का आकर्षक मकबरा, कमल के फूल का बाग, लम्बी बावड़ी, शिकार बाग, देवहंसगढ़, वन विहार व रामसागर वन्य जीव अभयारण्य, पार्वती बाँध, केसरबाग पैलेस, मौनी बाबा की मजार, सिटी पैलेस (राजविलास पैलेस), गुमट किला (बाड़ी), बाड़ी किला, जार जरीना मस्जिद एवं चौपड़ा महादेव मंदिर व बावड़ी आदि ।(धौलपुर का इतिहास)
धौलपुर का इतिहास महत्त्वपूर्ण तथ्य
- धौलपुर मिलिट्री स्कूलः भारतवर्ष में मिलिट्री स्कूल अजमेर, जालंधर, बेंग्लौर, बेलगाँव व धौलपुर में स्थित है। चित्तौड़गढ़ में सैनिक स्कूल है। धौलपुर मिलिट्री स्कूल की स्थापना 1962 में की गई। इसका प्रारम्भ 16 जुलाई, 1962 को तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री वी.के. कृष्ण मेनन द्वारा किया गया। धौलपुर मिलिट्री स्कूल की स्थापना धौलपुर रियासत के शासकों के निवास स्थान केसरबाग पैलेस में की गई। इसकी स्वीकृति धौलपुर महाराजा उदयभान सिंह ने दी। यह देश का पाँचवाँ व स्वतंत्रता के पश्चात् स्थापित पहला मिलिट्री स्कूल है। राजस्थान में अजमेर मिलिट्री स्कूल की स्थापना 15 नवम्बर, 1930 को की गई थी।देश में सर्वप्रथम जालंधर में चैल मिलिट्री स्कूल की स्थापना 1925 में की गई। इसकी आधारशिला 1922 में रखी गई थी। फिर अजमेर में 1930 में, बेलगाम में 1945 में तथा बेंग्लौर में 1 अगस्त, 1946 को मिलिट्री स्कूल स्थापित किया गया l (धौलपुर का इतिहास)
- नैरोगेज ट्रेन : बच्चा गाड़ी के नाम से लोकप्रिय यह ट्रेन रियासत काल में सन् 1908 में प्रारम्भ हुई थी। यह गाड़ी धौलपुर से सरमथुरा होते हुए ताँतपुर (आगरा) तक जाती है। राजस्थान में छोटी लाइन (नैरोगेज) केवल यहीं पर है। यह 89 किमी. लंबी है।
अन्य महत्वपूर्ण इतिहास
सिरोही का इतिहास | Click here |
दौसा का इतिहास | Click here |
हनुमानगढ़ का इतिहास | Click here |
बाड़मेर का इतिहास | Click here |
उदयपुर का इतिहास | Click here |
भीलवाड़ा का इतिहास | Click here |
भरतपुर का इतिहास | Click here |
चित्तौड़गढ़ का इतिहास | Click here |
सीकर का इतिहास | Click here |
झुंझुनू का इतिहास: | Click here |
चुरू का इतिहास | Click here |
डूंगरपुर का इतिहास | Click here |
पालि का इतिहास | Click here |
जैसलमेर का इतिहास | Click here |
सवाई माधोपुर का इतिहास | Click here |
नागौर का इतिहास | Click here |
झालावाड़ का इतिहास | Click here |
जालौर का इतिहास | Click here |
प्रतापगढ़ का इतिहास | Click here |
जयपुर का इतिहास | Click here |
बांसवाड़ा का इतिहास | Click here |
अलवर का इतिहास | Click here |
अजमेर का इतिहास | Click here |
श्रीगंगानगर का इतिहास | Click here |
करौली का इतिहास | Click here |
कोटा का इतिहास | Click here |
निष्कर्ष:
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमारी टीम ने धौलपुर का इतिहास की विस्तार से व्याख्या की है, साथ ही धौलपुर का इतिहास के प्रमुख पर्यटन व दर्शनीय स्थल का भी वर्णन किया है।
3 thoughts on “धौलपुर का इतिहास | Dhaulpur History in Hindi”