माउंट आबू की जानकारी | Mount Abu History in Hindi

माउंट आबू की जानकारी: माउण्ट आबू नगरपालिका राज्य की सबसे पुरानी नगरपालिका है। राजस्थान में माउण्ट आबू नगरपालिका की स्थापना 1864 ई. में ब्रिटिश हुकूमत के समय हुई थी। ब्रिटिश शासन में माउण्ट आबू में राजपुताना गवर्नर जनरल के एजेन्ट का मुख्यालय था। माउण्ट आबू को राजस्थान का शिमला व ‘बर्बोयांस्क’ भी कहते हैं। यह राज्य में सर्वाधिक ऊँचाई पर बसा नगर है। इस पर्वत पर अनेक हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर बने होने के कारण कर्नल टॉड ने इसे ‘हिन्दू ओलम्पस’ (देव पर्वत) कहा है। यहाँ राज्य का पहला इको फ्रेजाइल जोन स्थापित किया गया है।(माउंट आबू की जानकारी)

माउंट आबू की जानकारी
माउंट आबू की जानकारी

संक्षिप्त जानकारी

क्षेत्रफल 5136 वर्ग किमी
राज्य राजस्थान
जिला सिरोही
जनसंज्ञा 22,943
स्थापना 1031 ई .मे
स्थापक वस्तूपाल तेजपाल
पूर्वनाम अबुदांचल
पिनकोड़े 307501
माउंट आबू की जानकारी

माउंट आबू की जानकारी: माउंट आबू का नामकरण

माउंट अबू का पूर्व नाम अर्बुदांचल’ है.जो ‘अर्बुदारण्य’ के नाम से लिया जाता था | जिसका अर्थ ‘अर्बुद का जंगल’.आबू इसी ‘अर्बुदारण्य’ शब्द से निकला हुआ नाम है. ऐसा माना जाता है कि गुरु वशिष्ठ ने अवकाश प्राप्त कर माउंट आबू के दक्षिणी क्षेत्र में सादु संत ने अपना जीवन व्यथित कीया है . एक पुरानी कहानी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अर्बुद नाम के एक सर्प ने इसी जगह पर भगवान् शिव के नंदी बैल के पराओं की रक्षा की थी इस के बाद इस स्थान को अर्बुदारान्य कहा जाने लगा. सन 1311 ई में देवड़ा चौहान वंश के राजा राव लुम्बा ने इस स्थान पर विजय प्राप्त की थी | जिसकी राजधानी उसने चन्द्रावती नामक एक मैदानी क्षेत्र में स्थापित की. सन 1405 में चन्द्रावती को हटाकर राव सश्मल ने सिरोही में अपना मुख्यालय बनाया. कालांतर में ब्रिटिश सरकार ने इस जगह को इस्तेमाल करने के लिए सिरोही के महाराजा से पट्टे पर लिया । (माउंट आबू की जानकारी)

माउंट आबू की जानकारी
माउंट आबू की जानकारी

माउंट आबू में घूमने की जगह

देलवाड़ा जैन मंदिर

देलवाड़ा जैन मंदिर माउंट आबू का एक प्रसिद्ध जैन मंदिर है। यह मंदिर बहुत सुंदर तथा पूरा सफ़ेद मार्बल से निर्मित है और दीवारों में, छतों में, सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है। मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में भगवान पार्श्वनाथ और भगवान नेमिनाथ की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है, जो बहुत सुंदर लगती है। मंदिर में कल्पवृक्ष, पारिजात सुंदर वृक्ष है जो एक इसे अलग ही नजरा देखने को मिलता है | यहा दूर दूर से लोग गोमाने आथे है | आप अगर माउंट आबू घूमने के लिए आते हैं, तो आपको इस मंदिर में जरूर घूमने के लिए आना चाहिए। ईस मंदिर के अंदर मोबाइल और कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं है। (माउंट आबू की जानकारी)

नक्की झील

आबू पर्वत पर स्थित इस झील के बारे में लोकोक्ति है कि देवताओं ने अपने नाखूनों से इस झील को खोदा था, इसी कारण इस झील का नाम नक्की झील पड़ा। इस झील के किनारे के पास के पर्वतों पर हाथी गुफा, चम्पा गुफा व रामझरोखा आदि प्रसिद्ध गुफाएँ है। यहाँ टॉड रॉक (मेंढ़ाकाकार चट्टान) व नन रॉक (घूँघट निकाले स्त्री की आकृति की चट्टान) भी है।

सर्वेश्वर श्री रघुनाथ जी मंदिर 

 यह मंदिर सफेद मार्बल से बना हुआ बहुत प्राचीन है। ईसका प्रवेश द्वार नक्काशीदार है और बहुत सुंदर है। मंदिर के हदयस्थान में रघुनाथ भगवान के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। रघुनाथ भगवान जी विष्णु भगवान जी के अवतार हैं। यहां पर श्री राम जी, माता सीता जी और लक्ष्मण जी ,गणेश जी , और हनुमान जी के भी दर्शन करने के लिए मिलते हैं। आप यहां पर घूमने के लिए जरूर आए । (माउंट आबू की जानकारी)

श्री अर्बुदा देवी मंदिर

माउण्ट आबू में अर्बुदा देवी का मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर को अधर देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। अर्बुदा देवी को आबू की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है।  इस मंदिर में विराजमान देवी मां दुर्गा का ही रूप है। यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना है। मंदिर तक जाने के लिए 300 सीढ़ियां बनी हुई है।

गुरु शिखर

गुरु शिखर माउंट आबू का सबसे ऊंचा शिखर है। यह अरावली पर्वत श्रृंखला का सर्वोच्च शिखर है। इस पर्वत पर भगवान विष्णु के अवतार भगवान दत्तात्रेय एवं भगवाद शिव के मंदिर भी स्थित है। पास की दूसरी चोटी पर भगवान दत्तात्रेय की माता का मंदिर स्थित है। यहां पर 500 से भी ज्यादा सीढ़ियां है, जिस पर चलकर आप गुरु शिखर के सबसे ऊपरी शिखर तक पहुंच सकते हैं। यहीं 14वीं शताब्दी के धर्म सुधारक स्वामी रामानंद के चरण युगल भी स्थापित है। गुरु शिखर को कर्नल टॉड ने संतों का शिखर कहा है।(माउंट आबू की जानकारी)

गौ मुख वशिष्ठ 

 श्री गोमुख वशिष्ठ माउंट आबू का एक धार्मिक स्थल है।  ऐसा माना जाता है कि गुरु वशिष्ठ ने इस जगह पर एक यज्ञ किया करते थे | जिसके फलस्वरूप चार बड़े राजपूत कुलों की उत्पत्ति हुई. यहाँ पर एक और स्थान है जिसे अग्नि कुंड के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार गुरु वशिष्ठ ने इसी कुंड में यज्ञ करके उन चार राजपूत कुलों की उत्पत्ति की. यहां पर आपको प्राचीन मूर्तियां देखने के लिए मिलती है। यह जगह पहाड़ियों और जंगल से घिरी हुई है तथा यहां पर पहुंचने के लिए आपको ट्रैकिंग करना पड़ता है। मगर यहां पर पहुंच कर आपको बहुत अच्छा लगेगा और यहां पर आपको बहुत सारे बंदर भी देखने के लिए मिल जाते हैं। (माउंट आबू की जानकारी)

सोमनाथ महादेवजी का मंदिर

सोमनाथ महादेवजी का मंदिर माउंट आबू का एक प्रसिद्ध मंदिर है तथा यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर माउंट आबू में देलवाड़ा में स्थित है। इस मंदिर के हदयस्थान में शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। इस मंदिर की छत में आपको 3D प्रिंटिंग देखने को मेलेगी , जो बहुत आकर्षक लगती है। इस मंदिर के चारों तरफ पहाड़ और पेड़ पौधे लगे हुए हैं। यहां पर आपको एक सुंदर सी झील देखने के लिए मिलेगी , जिसमें आपको बहुत सारी गोल्डन कलर की मछलियां देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही सुंदर लगती है। (माउंट आबू की जानकारी)

सनसेट पॉइंट

सनसेट समुन्द्र के केनारे पर स्थित है | यहां पर आपको सनसेट का बहुत सुंदर नजारा देखने को मेलेगा । सनसेट पॉइंट पहुंचने के लिए आपको चढ़ाई करनी पड़ती है। यहां पर प्रवेश के लिए एंट्री शुल्क देना पड़ता । ,जो प्रति व्यक्ति 50 है। यहां पर आपको बहुत ही सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यह माउंट आबू का फेमस टूरिस्ट स्पॉट है। 

अचलगढ़

अचलगढ़ दुर्ग का निर्माण परमार शासकों ने करवाया था। इसका पुनः निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था। परमारों ने यहाँ अचलेश्वर महादेव मंदिर का भी निर्माण करवाया था। यह मंदिर 108 शिवलिंगों वाला है किन्तु मुख्य स्थल पर शिवलिंग के स्थान पर एक लघु गहवर बना हुआ है जो काशी विश्वनाथ का अंगूठा बताया जाता है। पीतल का विशाल नंदी भी मंदिर के मुख्य ग्रह में स्थापित है। नंदी के पास ही कवि दुरसा आढ़ा की मूर्ति है। दुरसा आढ़ा अकबर का दरबारी कवि था। मंदिर में राजा कन्हडदेव की पाषाण प्रतिमा तथा एक तोरण भी मौजूद है। मंदिर के पास ही मंदाकिनी कुण्ड भी है। (माउंट आबू की जानकारी)

दूध बावड़ी

अर्बुदा देवी के मंदिर की तलहटी में दूध बावड़ी नामक ऐतिहासिक स्थल भी है।

हनीमून पॉइंट

सनसेट पॉइंट के पास ही प्राकृतिक रूप से दो चट्टानें पास-पास खड़ी हैं जो नवविवाहितों के लिए कौतूहल उत्पन्न करती है। इसी स्थल को लवर्स रॉक या हनीमून प्वाइंट कहा जाता है। हनीमून प्वाइंट के पास में आपको श्री सिद्धि महाविनायक मंदिर देखने के लिए मिलता है यह मंदिर हनीमून प्वाइंट के पास में स्थित है। आप यहां पर जाकर घूम सकते हैं। यहां पर गणेश जी की बहुत सुंदर प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। (माउंट आबू की जानकारी)

देवांगन

आबू पर्वत पर स्थित यह भगवान नृसिंह का मंदिर है जो देवांगन कहलाता है। यहाँ भगवान विष्णु की कमलासनासीन बुद्धावतार मुद्रा की प्रतिमा है।

करोड़ी ध्वज

यह सूर्य मंदिर है जिसमें तीन ओर सात अश्वों के रथ पर आरुढ़ भगवान भुवनभास्कर का विग्रह है।

अनादरा पॉइंट

यह नक्की झील के पश्चिम की ओर पर्वतीय ऊँचाई पर स्थित है। अनादरा पॉइंट के पास ही पर्वत पर पालनपुर पॉइंट भी बना हुआ है।

माउण्ट आबू के अन्य स्थल-

(1) ट्रेवर्स टैंक, (2) चन्द्रावती नगरी (आबू के परमारों की पूर्व राजधानी) – कहा जाता है कि आबू पर्वत पर ऋषि वशिष्ठ ने यज्ञ किया व अग्निकुंड से चार राजपूत योद्धा (अग्निकुल) (क) चौहान, (ख) परमार, (ग) प्रतिहार एवं (घ) सोलंकी उत्पन्न हुए। (३) प्रजापति ईश्वरीय विश्वविद्यालय भी माउन्ट आबू (सिरोही) में स्थित है।(माउंट आबू की जानकारी)

माउंट आबू की संस्कृति

पर्वतों के दरमियान मे स्थित होने की वजह से यहाँ पर कुछ पहाड़ी संस्कृति की झलकियाँ हैं, तो धार्मिक स्थलों की बहुल्यता की वजह से ये स्थान आध्यात्मिक भी हो जाता है. यहाँ पर ग्रीष्म त्यौहार “समर फेस्टिवल” मनाया जाता है. यहाँ के लोकनृत्यों में बलाड, घूमर, धाप आदि मशहूर हैं, जो ख़ुद में राजस्थानी संस्कृति समाय हुए है| (माउंट आबू की जानकारी)

माउन्ट आबू का मौसम

  • मार्च से जून : यह समय माउंट आबू में ग्रीष्म ऋतु का समय होता है. राजस्थान में स्थित होने की वजह से यहाँ के समस्त पर्यटन स्थल पर तापमान 32 डिग्री सेल्सिअस से 35 डिग्री सल्सिएस तक होता है. इस समय यहाँ ग्रीष्म ऋतु मुख्यतः अप्रैल से मध्य जून के बीच में होती है|(माउंट आबू की जानकारी)
  • जुलाई से सितम्बर : इस समय यहाँ मानसून का समय होता है. मानसून की शुरुआत यहाँ मुख्यतः जून के अंतिम दिनों से ही शुरू हो जाती है. इस समय यहाँ पर गर्मी से कुछ राहत होती है. मानसून के दौरान यहाँ पर जोर की बारिश होने की सम्भावना सदैव बनी रहती है. आसमान में सदैव बादल छाये हुए रहते हैं| (माउंट आबू की जानकारी)
  • अक्टूबर से फरवरी : माउंट आबू में ये समय शीत ऋतु का होता है. इस दौरान यहाँ पर खूब ठण्ड पड़ती है. दिसम्बर से जनवरी के बीच यहाँ का तामपान 8 डिग्री सल्सियस तक गिर जाता हैं, और कडाके की ठण्ड पड़ती है| (माउंट आबू की जानकारी)

माउन्ट आबू की लोकेशन 

पश्चिमी भारत के राजस्थान के सिरोही जिले में माउंट आबू पड़ता है. सन 2011 की जनगणना के अनुसार ये राजस्थान का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला क्षेत्र है| माउन्ट आबू यहीं मौजूद की वजह से ये एक भ्रमण स्थल के रूप में जाना जाता है| यह क्षेत्र 5136 वर्ग किमी में फैला हुआ है| इसके पश्चिम में जालोर, उत्तर में पाली, पूर्व में उदयपुर और दक्षिण में बनास कंठ ज़िला है. ये समस्त क्षेत्र पत्थरों और जंगलों से भरे हुए हैं. माउंट आबू का ग्रेनाइट पुंजक इस जिले को दो भागों में विभक्त करता है. ये पुंजक जिले के उत्तर पूर्वी क्षेत्र से दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र की तरफ जाता है. इस ज़िले का दक्षिणी और दक्षिणी पूर्वी हिस्सा अरावली पर्वत श्रेणी और माउंट आबू के मध्य पड़ता है, जो पूरी तरह पहाड़ी इलाका है. यहाँ पर पश्चिमी बनास नदी और आबू रोड है. जिले का पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्र अपेक्षाकृत शुष्क है|

माउंट आबू की जानकारी
माउंट आबू की जानकारी

माउंट आबू पहुँचने का तरीक़ा

  • एयर द्वारा : माउन्ट आबू हवाई जहाज की सहायता से जाया जा सकता है. माउन्ट आबू का सबसे क़रीबी हवाई अड्डा है डबोक. डबोक उदयपुर में स्थित है जहाँ से माउंट आबू की दूरी 185 किलोमीटर की है. यहाँ के लिए जेट ऐर्वार्य्स, इंडियन एयरलाइन्स, स्पाइस जेट, इंडिगो आदि फ्लाइट्स मिल जाते हैं.
  • बस द्वारा : माउंट आबू राजस्थान में स्थित है. यहाँ पर देश के कई बड़े शहरों से कई लम्बी सड़के पहुँचती हैं. दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड आदि जगहों से माउंट आबू बस स्टॉपेज के लिए कई बसें खुलती हैं.
  • ट्रेन द्वारा : माउंट आबू का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड है. बैंगलोर, दिल्ली, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, अजमेर, बांद्रा, बरेली, भुज, बीकानेर, दादर, चेन्नई, देहरादून, जोधपुर, मुजफ्फरपुर, मैसूर आदि कई जगहों से ट्रेन आबू रोड रेलवे स्टेशन तक आती है. आबू रोड से माउंट आबू की दूरी लगभग 40 किलोमीटर की है जिसे लगभग एक घंटे में तय किया जा सकता है|(माउंट आबू की जानकारी)

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निष्कर्ष:

आज हमारी टीम ने माउंट आबू की जानकारी आपके साथ साझा की हमे उम्मीद है आपको ये जनक्री जरूर पसंद आई होगी एसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी और इतिहास के लिए हमारी वेबसाईट को विजिट करे।

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